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जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने जयपुर मास्टर प्लान 2025 की वैधता बढ़ा दी है। अब 5 सितंबर 2027 तक लागू रहेगा,

🏙️ जयपुर मास्टर प्लान 2025 की वैधता बढ़ाई गई

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जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) द्वारा लागू किए गए मास्टर प्लान 2025 की वैधता को अब बढ़ा दिया गया है। यह निर्णय हाल ही में राज्य सरकार द्वारा लिया गया है ताकि शहर के विकास कार्यों में कोई बाधा न आए।


🔹 अब तक की स्थिति:

  • मास्टर प्लान 2025 की वैधता मूल रूप से 2025 तक थी।

  • यह प्लान जयपुर के शहर नियोजन, सड़कों, हाउसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और ज़ोनिंग नियमों का आधार रहा है।


🔹 अब क्या बदला है?

  • अब यह प्लान 5 सितंबर 2027 तक वैध रहेगा,याजब तक नया मास्टर प्लान 2047 लागू नहीं हो जाता — जो भी पहले हो।


🔹 क्यों बढ़ाई गई वैधता?


  • नया मास्टर प्लान 2047 तैयार किया जा रहा है, लेकिन इसमें समय लगेगा।

  • जब तक वह अंतिम रूप से तैयार नहीं होता, तब तक पुराने प्लान को जारी रखना जरूरी है ताकि बिल्डिंग परमिशन, ज़मीन उपयोग, और शहर नियोजन से जुड़ी प्रक्रिया बाधित न हों।


🔹 इससे क्या फायदा होगा?

  • विकास परियोजनाओं में निरंतरता बनी रहेगी।

  • बिल्डर्स, निवेशकों और आम नागरिकों को स्पष्टता रहेगी।

  • ज़ोनिंग, लैंड यूज और परमिशन प्रक्रियाएं सुचारु रूप से चलती रहेंगी।


📌 GIS (जियो‑स्पैशियल इन्फ़ॉर्मेशन सिस्टम) का रोल — जयपुर मास्टर प्लान 2025 की बढ़ी हुई वैधता में


(“GSI” से आपका आशय अधिकतर “GIS प्रणाली” है; यदि आप “Geological Survey of India” पूछ रहे हों तो बताइए, पर शहरी नियोजन सन्दर्भ में GIS ही प्रचलित शब्द है।)

प्रमुख कार्य

विस्तार

डिजिटल बेस‑मैप व मल्‍टी‑लेयर डेटा

पूरी JDA सीमा का भू‑भाग, सड़‍क नेटवर्क, ड्रेनेज, ज़ोनिंग, पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र, इत्यादि को लेयर‑बाय‑लेयर मैप किया गया है। इससे प्लान 2025 के किसी भी प्लॉट का रेज़िडेन्शियल, कमर्शियल, मिक्स्ड‑यूज़ आदि स्टेटस क्लिक पर दिखता है। timesofindia.indiatimes.comfirstindia.co.in

ऑन‑लाइन पोर्टल और पारदर्शिता

2025 से JDA ने नागरिकों के लिए GIS‑आधारित पोर्टल लाइव किया है; लोग घर बैठे Land‑Use, 90A परिवर्तन, Land Bank व कॉलोनी मैप देख सकते हैं। इससे दफ़्तर जाने की ज़रूरत घट गई और फाइल‑ट्रैकिंग पारदर्शी हुई। timesofindia.indiatimes.comfirstindia.co.in

मंज़ूरी प्रक्रियाओं का ऑटोमेशन

बिल्डिंग परमिशन, CLU (चेंज‑ऑफ़‑लैंड‑यूज़) व ले‑आउट स्वीकृति GIS से लिंक हैं— ज़मीन का उपयोग और FSI/FAR नियम स्वतः वैरिफ़ाई हो जाते हैं, गलतियों व भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होती है।

रियल‑टाइम मॉनीटरिंग

ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी को GIS पर सुपरइम्पोज़ कर अवैध निर्माण व अतिक्रमण तुरन्त पहचान में आते हैं; नोटिस और सीलिंग की प्रक्रिया तेज़ होती है।

प्लान 2025 ⇢ 2027 की अवधि में

वैधता बढ़ने से इसी GIS प्लेटफ़ॉर्म पर सभी ताज़ा संशोधन (जैसे नई सड़क चौड़ाई, मेट्रो कॉरिडोर, 90A स्वीकृतियां) जोड़ते रहेंगे, जिससे 5 सितंबर 2027 तक उपयोगकर्ता ‘कन्फ़्यूज़’ नहीं होंगे।

नया मास्टर प्लान 2047 का आधार

भविष्य के प्लान 2047 के लिए यही GIS “डिजिटल ट्विन” बन जाएगा— ट्रैफ़िक सिमुलेशन, पर्यावरण मॉडलिंग, ग्राउंड‑वॉटर ज़ोन, स्मार्ट‑सिटी सेंसर डेटा आदि यहीं इंटीग्रेट होंगे।


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